Twitter

Share It

Share It

Blog Archive

Sunday 19 June 2016

आचार्य गुरुवर संत शिरोमणि प. पू. १०८ श्री विद्या सागर जी महाराज

************************************
महान हैं आचार्य गुरुवर संत शिरोमणि प. पू. १०८ श्री विद्या सागर जी महाराज जिनके मुख से साक्षात तीर्थंकर जैसी वाणी निकलती है !

कल जब राजनीति के क्षेत्र से अमित शाह जी और शिवराज सिंह चौहान जी आये थे तब आचार्य गुरुवर में मुखारबिंद से जो वाणी निकली वो एक महान राजनीतिज्ञ जैसी थी और आज जब आचार्य गुरुवर ने अर्थ शास्त्र पर बोला तब ऐसा लगा मानो महान अर्थ शास्त्री सैकड़ो CA / Engineers को उद्बोधन दे रहा हो !

************************************

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आचार्य भगवन के आज के प्रवचनांश :
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

१. अर्थ (आज के ज़माने का पैसा) की क्या उपियोगित क्या है ? ये चिंतन का विषय है ! अर्थ से आप क्या खरीद सकते हैं अगर बाजार में वो वस्तु ही नहीं हो ? ये समझना की अर्थ से कुछ खरीदा जा सकता है ये बहुत बड़ी भूल है !

२. इतिहास को पड़ना और उसका चिंतन करना अति आवश्यक है ! पहले की अर्थ व्यवस्था समझना बहुत जरूरी है ! हर कोई भविष्य की चिंता में तो है लेकिन बिना इतिहास को जाने ! यह भूल हो रही है !

३.
##########
अर्थ व्यवस्था एक अपवाद है   ###########

जीवन जीने के लिए जो भी जरूरी सामग्री हैं उनको मुख्यतः १० विभागों में बांटा गया है और उसमे अर्थ का कोई स्थान नहीं है ! अर्थ तो एक वैकल्पिक व्यवस्था है जो आज कल मूल बन गई है जो नहीं होना चाहिए था ! हर व्यक्ति इसके पीछे पागल हुआ जा रहा है !

ये कुछ इसी प्रकार है की जैसे ताश के ५२ पत्ते हैं और उसमे जोकर एक अपवाद है जो किसी के स्थान / साथ भी लगाया जा सकता है ! इसी प्रकार जीवन के लिए उपयोगी दस प्रकार के परिग्रह में अर्थ को किसी भी स्थान पर लगाया जा सकता है लेकिन वो मुख्य तो कभी नहीं हो सकता !

इतिहास में भी इस वैकल्पिक व्यवस्था का प्रयोग किया गया लेकिन तब भी मुद्रा के रूप में सोना / चांदी के सिक्कों का प्रयोग होता था ! आज तो कुछ भी नहीं है ! ये एक छल है !

४. शिक्षा का असली मतलब पड़ना नहीं बल्कि अनुभव है ! शब्द तभी important हो पाते हैं जब उसका अर्थ (meaning) समझा जा सके !

५. जैसे साइकिल का जब टायर पंचर हो जाता है तो पहले उस को खोल के check किया जाता है की problem कहा है , उसको mark करके फिर उसको ठीक किया जाता है ! उसी प्रकार इस अर्थ की समस्या का भी इसी प्रकार से शोध करने की आवश्यकता है !

आज के पड़े लिखे लोगों ने कभी इस अर्थ रुपी अपवाद / वैकल्पिक व्यवस्था की समस्या के जड़ पर चिंतन ही नहीं किया तो फिर solution मिलेगा कहा से ?

६. सम्यक दर्शन केवल श्रद्धान का ही नाम नहीं बल्कि सक्रीयता का नाम है नहीं तो पता कैसे चलेगा की अंतरमन में क्या है ! सम्यक दर्शन के लक्षण में करुणा / अनुकम्पा भी है , किसी के कष्ट देखके आँखों का नम हो जाना चाहिए !

७. बच्चों को सही शिक्षा दें नाकि पश्चिम के प्रभाव में आकर ऐसी पढ़ाई करवा दें की वो सब बेकार हो जाए ! आज लाखों इंजीनियर्स बेकार हैं और चपरासी की नौकरी तक के लिए आवेदन कर रहे है !

~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

No comments:

Post a Comment